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Thursday, February 22, 2024

पौराणिक कलीजर नाथ मंदिर का होगा भव्य जीर्णोद्धार


 पौराणिक कलीजर नाथ मंदिर का होगा भव्य जीर्णोद्धार

प्रसिद्ध कथाकार पंडित अतुल महाराज ने की पहल

प्रतापगढ़. अंतू रेलवे स्टेशन से 6 किमी दूर जलालपुर ग्राम सभा के बीच चमरौधा नदी तट पर स्थित सैकड़ों वर्ष पुराने पौराणिक कलीजर नाथ बाबा के मंदिर के जीर्णोद्धार की घोषणा की गई।  अंतू में एड. कमलेश पांडेय के यहां चल रही श्रीमद भागवत के समापन दिवस पर अतुल महाराज ने व्यास पीठ से जलालपुर स्थित शंकर भगवान के मंदिर के जीर्णोद्धार कराने की घोषणा की।
साथ ही 108 बोरी सीमेंट दान देकर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। महाराज ने मंदिर जाकर भोलेनाथ का दर्शन एवं पूजन भी किया। 

प्रति वर्ष कथा का संकल्प

 उल्लेखनीय है कि महाराज जी ने इस मंदिर पर प्रति वर्ष श्रीमद भागवत कथा के आयोजन का संकल्प लिया।
कलीजर भोले बाबा का एक मंदिर अति प्राचीन मंदिर है। जिसका पौराणिक और ऐतिहासिक साक्ष्य वहां आज भी देखने को मिलता है। स्थानीय स्तर पर जीर्णोद्धार हेतु कई बार प्रयास किया गया लेकिन सफल नहीं रहा। 

महाराज की घोषणा के बाद भक्तों ने खोल दी झोली

महाराज की घोषणा के बाद उपस्थित श्रद्धालुओं ने अपनी झोली खोल दी। रोहिणी तिवारी ने 50 कुंतल सरिया देने का संकल्प लिया। पूर्व विधायक बृजेश सौरभ मिश्र, सदर विधायक राजेंद्र मौर्य ने आर्थिक मदद का आश्वासन दिया। 

इन दानवीरों ने बढ़ाया हाथ

पूर्व जिला पंचायत सदस्य महेश मिश्र, रविन्द्र नाथ द्विवेदी, चेयरमैन संजय सोनी, ज्योतिषाचार्य पं. वेद प्रकाश तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार राकेश पांडेय, साहित्यकार डॉ. शिवम् तिवारी, पूर्व चेयरमैन योगेश प्रताप सिंह, प्रो. अर्जुन पाण्डेय, डॉ. के के यादव, जलालपुर के समाजसेवी रमेश पांडेय, ओम प्रकाश पांडेय, सुरेश पांडेय, प्राध्यापक विजय पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार सुरेश मिश्र, व्यवसायी महेश लाला, वीरेंद्र लाला, एन आर एस इंटर कॉलेज के प्रबंधक राजेश सिंह, एडवोकेट कमलेश पांडेय, प्रताप इंटर कॉलेज के प्रबंधक संतोष तिवारी, सूबेदार उपाध्याय, दीपक गुप्ता, वशिष्ठ उपाध्याय, शिवराम मौर्य, वर्णवाल मेडिकल स्टोर की संचालिका, प्रमोद मिश्र, पत्रकार पुनीत द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने इस पुनीत कार्य के लिए दान देने की घोषणा की।

मंदिर की पौराणिकता के बारे में जलालपुर निवासी प्राध्यापक विजय पांडेय ने बताया कि कलीजर नाथ धाम देशज भाषा अवधी में  बोला जाता है, इसका शुद्ध शब्द कालिंजर है, जिसका आशय समय को जीतने वाला अर्थात कालेश्वर,, मतलब काल का ईश्वर महाकाल। यह जलाल पुर ग्राम का एक मात्र सिद्ध  देवमंदिर है।

मंदिर के ध्वंस अवशेष का स्तंभ आज भी यहां है। जिस पर प्राच्य शैली खुदे हुए पित्रादुरा आकृतियां आज भी बहुत कुछ कह रही हैं।
मुगल कालीन आक्रमण से हर जगह क़ई तरह यहां भी बहुत कुछ बदला। गाजीपुर जलालपुर,ये नाम तभी से है जबकि इन गांव में कोई मुस्लिम समुदाय ही नहीं रहा है।

इसका गजेटियर के माध्यम से पुनर्वलोकन अति समीचीन है।
पौराणिक कथाओं में इस गांव का नाम जलजपुर है। जलज का अर्थ अरबी भाषा में बादल से घिरा स्थान होता है, आज भी बारिश इस गांव में खूब होती है। जल, जंगल, और वन्य जीव से सम्पन्न
 मुगलों की भाषा फारसी थी जो जलज को जलाल बोलते थे जिसका आशय बादलों से घिरा स्थान,या बारिश और जल से युक्त  स्थान होता है। यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में शामिल है।

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