श्री राम जन्मभूमि के नाम से मशहूर अयोध्या शहर में आखिरकार भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है और लंबे समय का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई गणमान्य व्यक्तियों, महंतों और संतों की मौजूदगी में राम मंदिर में मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ और उसी क्षण से राम लला के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें अयोध्या में लगनी शुरू हो गईं। रामलला की मूर्ति का लोलुप स्वरूप कई लोगों को लगा और सभी ने इस मूर्ति की सराहना की. देश में सर्वश्रेष्ठ भगवान श्री राम की इस मूर्ति की चर्चा अभी थमी नहीं है. लेकिन, अब एक और मूर्ति की चर्चा नए सिरे से शुरू हो गई है. हैरानी की बात यह है कि जिस मूर्ति की बात हो रही है वह बहुत प्राचीन है और इसमें और अयोध्या में रामलला की मूर्ति में कई समानताएं हैं।
किस स्थान पर मिली है यह मूर्ति
हाल ही में कर्नाटक के राजचूर जिले में कृष्णा नदी के तल में भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति मिली है। प्रारंभिक जानकारी और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह स्पष्ट है कि इस मूर्ति और मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति में कई समानताएं हैं। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक यह मूर्ति करीब 11वीं, 12वीं शताब्दी की हो सकती है। रामलला की मूर्ति के समान ही विष्णु की इस प्राचीन मूर्ति के मंदिर की भी बेहद खूबसूरती से नक्काशी की गई है और इस पर दशावतारी रूप भी बनाए गए हैं।
किस स्थान पर मिली है यह मूर्ति
हाल ही में कर्नाटक के राजचूर जिले में कृष्णा नदी के तल में भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति मिली है। प्रारंभिक जानकारी और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह स्पष्ट है कि इस मूर्ति और मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति में कई समानताएं हैं। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक यह मूर्ति करीब 11वीं, 12वीं शताब्दी की हो सकती है। रामलला की मूर्ति के समान ही विष्णु की इस प्राचीन मूर्ति के मंदिर की भी बेहद खूबसूरती से नक्काशी की गई है और इस पर दशावतारी रूप भी बनाए गए हैं।
सिर्फ भगवान विष्णु की मूर्ति ही नहीं बल्कि नदी के तल में एक शिवलिंग भी मिलने की जानकारी सामने आई है. रायचूर विश्वविद्यालय में इतिहास और पुरातत्व विभाग में प्रोफेसर डॉ. पद्मजा देसाई के अनुसार, ये मूर्तियां किसी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गई होंगी। मंदिर को हमले, तोड़फोड़ या इसी तरह की घटनाओं से बचाने के लिए मूर्तियों को नदी के तल में विसर्जित कर दिया गया होगा। हालांकि ये मूर्तियाँ कुछ हद तक क्षतिग्रस्त हो गई हैं, लेकिन इन पर की गई नक्काशी बहुत स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
डॉ देसाई के मुताबिक, नदी तल से मिली इस मूर्ति पर बेहद बारीक नक्काशी है। इस मूर्ति की प्रभावली में मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, राम, परशुराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि को दर्शाया गया है। चार भुजाओं वाली इस मूर्ति के शीर्ष पर दो भुजाएँ हैं, जिनमें शंख और चक्र हैं। तो इसके नीचे की दो भुजाएं आशीर्वाद मुद्रा में नजर आती हैं। इनमें से एक है कटि हस्त और दूसरा है वरद हस्त।
इस मूर्ति पर कहीं भी गरुड़ का चिन्ह नहीं है। विष्णु की कई मूर्तियों के साथ गरुड़ की प्रतिकृति भी अक्सर देखी जाती है। इस मूर्ति के स्वरूप को देखकर इसका संदर्भ वेंकटेश्वर से जोड़ा जा सकता है। विष्णु के इस रूप में भगवान को आभूषणों और फूलों से सजाए जाने की झलक देखने को मिलती है।
No comments:
Post a Comment