नवी मुंबई। उरण तालुका में चांजे ग्राम पंचायत के अंतर्गत सबसे बड़ा गांव माने जाने वाले करंजा एक गांव ऐसा भी है जहाँ सिर्फ 15 दिन में एक दिन जलापूर्ति की जाती है, इसकी वजह से यहाँ के नागरिकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जलापूर्ति को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन और जुलूस भी निकाले गए लेकिन फिर भी गांव में पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ जिसकी वजह से स्थानीय ग्रामीणों में प्रशासन तथा सरकार के प्रति नाराजगी व्याप्त है। पता हो कि उरण शहर से कुछ दूरी पर स्थित कारंजा गांव के ग्रामीण पानी की कमी से जूझ रहे हैं. पंद्रह दिन में एक बार पानी आने से ग्रामीण पानी के बिना परेशान हो रहे हैं। पिछले कई वर्षों से कारंजा गांव के नागरिकों की पानी की समस्या का समाधान अब तक नहीं हुआ है।
पानी की समस्या को लेकर ग्रामीण अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। कारंजा के ग्रामीण पूछ रहे हैं कि उन्हें और कितने साल पानी की कमी झेलनी पड़ेगी. करंजा-कोंधारी क्षेत्र उरण तालुका की सबसे बड़ी चांजे ग्राम पंचायत का हिस्सा है। इस इलाके की आबादी करीब 25 से 30 हजार है. एक ओर जहां सरकार के माध्यम से 'हर घर जल' योजना लागू की जा रही है; दूसरी ओर कारंजा के ग्रामीण पानी की समस्या को लेकर जी-जान से संघर्ष कर रहे हैं; लेकिन फिर पानी की समस्या का समाधान नहीं होने से नागरिकों को गांव छोड़ने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि कारंजा के ग्रामीणों ने अक्सर पानी की कमी के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए हैं। यहां तक कारंजा के ग्रामीणों ने पानी की कमी पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए मतदान का बहिष्कार तक किया लेकिन फिर भी इस समस्या का हल नहीं निकल पाया। इसी प्रकार, पिछले वर्ष मार्च माह में उरण तहसील कार्यालय में भी हांडा-कलशी मोर्चा आयोजित किया गया था; लेकिन जन प्रतिनिधियों और सरकार की ओर से सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है.
गांव के नागरिक पानी की समस्या से काफी परेशान हैं. इसलिए नागरिकों के लिए पानी खरीदने का समय आ रहा है। पंद्रह दिन में एक बार पानी आने से सबसे बड़ी समस्या यह है कि पानी की योजना कैसे बनाई जाए। खास बात यह है कि हमारे गांव की पानी की समस्या का समाधान करने के लिए जनप्रतिनिधियों व सरकार दोनों ही गंभीर रुख नहीं अपना रहें हैं जिसका खामियाजा यहाँ के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।
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