Pages

Thursday, March 14, 2024

नवी मुंबई में विजय चौगुले और गणेश नाईक के बीच आखिर कैसे मधुर होंगे रिश्ते ?


 

यहाँ मतभेद नहीं बल्कि मनभेद का विवाद है 

मनीष अस्थाना
नवी मुंबई में भाजपा नेता गणेश नाईक और शिवसेना जिला प्रमुख विजय चौगुले के बीच रिश्ते दिन ब दिन खराब होते जा रहें हैं राज्य में भाजपा शिवसेना की सरकार होने के बावजूद आपसी रिश्तों को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किए जा रहें और न ही दोनो दलों के वरिष्ठ नेता दोनों लोगों के बीच रिश्तों को सुधारने में गंभीर दिखाई दे रहें है। जिसकी वजह से दोनों लोगों के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है। बढ़ते विवाद के कारण अब एक दूसरे के समर्थक भी खुलकर सामने आने लगे हैं जिसकी वजह से विवाद और भी तूल पकड़ रहा है। 

इन दिनों जिस तरह से दोनो के बीच वाद विवाद चल रहा है उसके बाद नवी मुंबई में इस बात की जोरदार चर्चा की जा रही है कि मतभेद तो किसी तरह दूर किए जा सकते हैं लेकिन मनभेद को दूर नहीं किया जा सकता है । गणेश नाईक और शिवसेना जिला प्रमुख विजय चौगुले के बीच मनभेद है जिसे कोई भी वरिष्ठ नेता दूर नहीं कर सकता है और यही बात दोनों पार्टियों के लिए नुकसानदायक साबित होगी। इन दोनों लोगों के बीच कोई नया विवाद नहीं है विवाद काफी पुराना है। जिसे सुलझाने के कोई प्रयास अतीत में नहीं किए गए जिसकी वजह से दोनों के बीच मनभेद गहरे ही होते चले गए। देखा जाए तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना में गणेश नाईक के विरोधी सिर्फ विजय चौगुले ही नहीं बल्कि किशोर पाटकर , सुरेश कुलकर्णी भी हैं जो खुलकर नाईक परिवार का विरोध करते हुए देखे जाते हैं। लेकिन विजय चौगुले और गणेश नाईक के बीच मनभेद कुछ अधिक है शायद इसलिए यह दोनों लोग एक दूसरे की निजी जिंदगी को लेकर भी एक दूसरे पर हमलावर रहते हैं।  

इन दिनों गणेश नाईक के बेटे संजीव नाईक लोकसभा टिकट को लेकर दावेदार बने है ऐसे में पार्टी की जीत के लिए दोनो के बीच सामंजस्य होना बेहद जरूरी है ।गणेश नाईक और विजय चौगुले के बीच वाकयुद्ध कोई पहली बार नहीं छिड़ा है इससे पहले भी दोनों के बीच वाकयुद्ध होते रहे हैं। इसी आपसी मनभेद की वजह से राज्य में भाजपा - शिवसेना की सरकार होने के बावजूद एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता कभी भी गणेश नाईक के साथ एक मंच पर नहीं आए हालांकि कई मौके ऐसे आए जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नवी मुंबई में मनपा के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आये लेकिन उन कार्यक्रमों में विजय चौगुले दिखाई नहीं दिए। ठाणे लोकसभा सीट से गणेश नाईक के पुत्र संजीव नाईक की दावेदारी के बाद नवी मुंबई में एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने दबी जुबान से विरोध करना भी शुरू कर दिया गया। कुछ दिनों पहले नवी मुंबई में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पदाधिकारी ऐरोली में राजन विचारे के साथ एक मंच पर मौजूद थे , इससे इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि लोकसभा का टिकट संजीव नाईक को पार्टी दे देती है तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पदाधिकारी राजन उद्धव ठाकरे की शिवसेना के प्रत्याशी राजन विचारे के लिए काम करने में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। 

अभी कुछ दिनों पहले दीघा में मनपा के एक स्कूल के उद्घाटन को लेकर जिस तरह का माहौल बना और विजय चौगुले तथा गणेश नाईक के बीच जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया वह दोनों दलों को आगे बढ़ाने वाली कतई नहीं थी। उसके बाद गणेश नाईक के समर्थकों ने खुलकर कहना शुरू कर दिया है कि विजय चौगुले का व्यवहार गठबंधन के लिए ठीक नहीं है , कुछ इसी तरह के आरोप गणेश नाईक पर भी लगाए जा रहें हैं। गणेश नाईक की तरफ से अनंत सुतार ने मोर्चा संभाल रखा है जबकि विजय चौगुले अपना मोर्चा खुद संभाले हुए हैं। 

No comments:

Post a Comment