मराठा आंदोलन से बढ़ी सरकार की मुश्किलें
मनीष अस्थाना
मराठा आंदोलन की आग एक बार फिर तेज होने लगी है , मराठा आंदोलनकारी धीरे धीरे मुंबई की तरफ बढ़ रहे हैं जैसे जैसे आंदोलन कारी मुंबई की तरफ बढ़ रहें हैं वैसे वैसे सरकार की धड़कन भी तेज होती जा रही है। मार्च या अप्रैल में लोकसभा चुनाव होने की बात कही जा रही है , महाराष्ट्र में महायुति ने लोकसभा की 48 में 45 सीटें जीतने का बीड़ा उठाया हुआ है। भाजपा के आला नेताओं को महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं समेत शिवसेना के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा एनसीपी नेता अजीत पवार ने भी इस बात का भरोसा दिलाया है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में लोकसभा की 45 सीटें जिताने में वे भी पीछे नहीं रहेंगे। किंतु जिस तरह से महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन की आग भड़क रही है ऐसे में भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों के लिए आधी सीटें जीत पाना भी मुश्किल दिखाई दे रहा है। हालांकि अभी तक जितने भी सीटों को लेकर सर्वेक्षण किए गए हैं या फिर किए जा रहें हैं उसमें भी भाजपा के नेताओं की चिंता बढ़ाने वाले ही परिणाम सामने आ रहें हैं।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा किसी प्रकार की कोई टिप्पणी अभी तक तो नहीं की गयी है यहाँ तक इस आंदोलन के बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र का कई बार दौरा कर चुके हैं उसमें भी मराठा आरक्षण को लेकर कोई जिक्र नहीं किया है। इधर मराठा समाज आरक्षण को लेकर जिद पर अड़ा हुआ है वे किसी भी कीमत पर आरक्षण चाहते हैं। मराठा समाज आरक्षण लेने के लिए मुंबई आने के लिए पैदल निकल पड़ा है और 26 जनवरी को मुंबई पहुँच जाएगा। इस आंदोलन में मराठा समाज के कितने लोग शामिल होंगे इसका अनुमान सरकार को भी नहीं हैं माना जा रहा है इस आंदोलन में 50 lलाख के आसपास लोग मुंबई आएंगे , ऐसे में सरकार के लिए कानून व्यवस्था को बनाए रखना सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण काम होगा।
मराठा नेता मनोज जरंगे पाटिल का कहना है कि सरकार ने उनसे वादा किया था जिसकी समय सीमा भी तय की गयी थी लेकिन उस तय सीमा में सरकार ने कुछ नहीं किया है , जरांगे का कहना है कि सरकार उन्हें मुर्ख बना रही है लेकिन ऐसा नहीं चलेगा। मनोज जरानगे का यह भी कहना है कि उन्होंने सरकार से बातचीत का रास्ता बंद नहीं किया है सरकार के लोग उनसे बातचीत करने के लिए आएंगे तो वे बातचीत करेंगे लेकिन अब किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि उनकी सरकार गंभीरता पूर्वक काम कर रही है इसलिए पिछड़ा वर्ग आयोग को सर्वेक्षण का काम दिया गया है उनकी सरकार मराठा समाज को स्थायी और कानून के दायरे में आरक्षण दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए हर स्तर पर काम भी किए जा रहें हैं।
महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन को लेकर विपक्ष हवा देने का काम कर रहा है , एनसीपी नेता शरद पवार इसे लेकर सरकार को घेर चुके हैं। विपक्ष का मानना है कि यदि लोकसभा चुनाव के पहले किसी वजह से मराठा आरक्षण लागू नहीं हो पाता है तो वे इसका राजनीतिक लाभ ले सकते हैं भाजपा किसी भी कीमत पर यह होने नहीं देना चाहती है क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए महाराष्ट्र बेहद महत्वपूर्ण है , इसलिए महाराष्ट्र के भाजपा नेता लगातार यह बात कह रहें हैं कि मराठा समाज को नियम के अनुसार स्थायी आरक्षण दिया जाएगा लेकिन यहाँ पर सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि मराठा आंदोलनकारी सरकार की किसी भी बात पर विश्वास करने के लिए तैयार नहीं हैं।
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